वास्ते हज़रत मुराद-ए- नेक नाम       इशक़ अपना दे मुझे रब्बुल इनाम      अपनी उलफ़त से अता कर सोज़ -ओ- साज़    अपने इरफ़ां के सिखा राज़ -ओ- नयाज़    फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हर घड़ी दरकार है फ़ज़ल-ए- रहमान फ़ज़ल तेरा हो तो बेड़ा पार है

 

 

हज़रत  मुहम्मद मुराद अली ख़ां रहमता अल्लाह अलैहि 

 

हज़रत-ए-शैख़ अबदुल  अज़ीज़ तमीमी

 

रहमतुह अल्लाह अलैहि

 

मोलफ़ किताब आईना तसव्वुफ़ के मुताबिक़ हज़रत-ए-शैख़ अबदुलअज़ीज़ तमीमी रहमतुह अल्लाह अलैहि की विलादत बासआदत ३ शवाल० २० हिज्री बरोज़ पंजशंबह फ़ज्र के वक़्त में यमन में हुई।

२१ मुहर्रम २४० हिज्री को बस्रा में आप रहमतुह अल्लाह अलैहि ने हज़रत अबूबकर शिबली रहमतुह अल्लाह अलैहि से ख़िलाफ़त हासिल की।

हज़रत-ए-शैख़ अबदुलअज़ीज़ तमीमी रहमतुह अल्लाह अलैहि ११ सिफ़र ३३४ हिज्री को जबरूत के मुक़ाम पर इस दार फ़ानी से रुख़स्त हुए ।आप रहमतुह अल्लाह अलैहि का मज़ार बग़दाद के क़रीब वाक़्य है।

नोट:। आप रहमतुह अल्लाह अलैहि के हालात-ए-ज़िंदगी बावजूद कोशिश के कहीं से नहीं मिल सके।क़दीम कुतुब में जो कुछ मिला मैंने लिख दिया। अगर किसी साहिब के पास हूँ तो "राबिता करें" को क्लिक करके हमारे साथ राबिता क़ायम करें और इस कार-ए-ख़ैर में हिस्सादार बने। या नीचे दिए गए ई मेल ऐडरैस पर राबिता करें।

इसरार-उल-हक़

Israr Ul Haq

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